शारदा चिट फंड घोटाला : IPS राजीव कुमार को फिर नही मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सरंक्षण देने से किया इनकार



शारदा चिट फंड मामले में कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त और IPS अधिकारी राजीव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार  

शुक्रवार को जस्टिस अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की वेकेशन बेंच ने कहा कि जनहित याचिका के तहत दाखिल याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। पीठ ने कहा कि कोलकाता में वकीलों की हड़ताल है, लेकिन जज नियमित रूप से काम कर रहे हैं। वैसे भी राजीव कुमार की सरंक्षण बढ़ाने की याचिका चीफ जस्टिस की पीठ के सामने लंबित है। ऐसे में पीठ इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकती। गौरतलब है कि राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर दिया गया सरंक्षण शुक्रवार को ही खत्म हो रहा है।

बीते 21 मई को भी SC से नहीं मिली थी कुमार को राहत

 इससे पहले 21 मई को भी उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली थी और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर सरंक्षण बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई के लिए 3 जजों की पीठ के गठन से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट सेकेट्री जनरल ने राजीव कुमार के वकीलों को सूचित किया था कि फिलहाल CJI गोगोई ने इस मामले में पीठ के गठन से इनकार किया है।

 कुमार ने लगाई आदेश में संशोधन की गुहार

 दरअसल राजीव कुमार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से उस आदेश में संशोधन की गुहार लगाई है जिसमें अंतरिम राहत के लिए सात दिन का समय दिया गया है।

 याचिका में कुमार द्वारा की गयी मांग

 राजीव कुमार की ओर से पेश वकील ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस संजीव खन्ना की वेकेशन बेंच के समक्ष इसका उल्लेख किया था और कहा था कि संबंधित कोर्ट जाने के लिए उन्हें 7 दिन का समय दिया गया था लेकिन कोलकाता में अदालतों में वकीलों की हड़ताल चल रही है। उन्होंने यह आग्रह किया था कि सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश में संशोधन करे और कहे कि ये 7 दिन का समय तब शुरू होगा जब ये हड़ताल खत्म हो जाए।

अर्जी पर सुनवाई से अदालत ने किया था इनकार

 हालांकि पीठ ने इस अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा था कि ये फैसला 3 जजों की पीठ का है इसलिए वो इस पर सुनवाई नहीं कर सकते। पीठ ने कहा था कि इस मामले को लेकर वो रजिस्ट्रार के पास जाएं ताकि वो इस मामले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के सामने रख सकें। दरअसल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर लगी रोक को हटा दिया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अदालत जाने के लिए उन्हें 7 दिनों का समय दिया था। पीठ ने कहा था कि सीबीआई कानून के मुताबिक काम कर सकती है। इससे पहले 2 मई को पीठ ने CBI की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुरक्षित रखा था।

कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की CBI की मांग

 CBI ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के खिलाफ सीलकवर में कुछ दस्तावेज और केस डायरी सुप्रीम कोर्ट को दी थी और यह दावा किया कि घोटाले की तह तक जाने के लिए एजेंसी कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है।

 “कुमार से पूछताछ के कारण राजनीतिक”

 वहीं पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया था कि सीबीआई राजनीतिक कारणों से IPS अधिकारी की हिरासत में पूछताछ करना चाहती है। 4 मोबाइल फोन और एक लैपटॉप आरोपी को दिए गए क्योंकि CBI इन सामग्रियों को नहीं मांगा। इसलिए इसे अदालत के आदेशों के बाद शारदा चिट फंड की कार्यकारी निदेशक देबजानी मुखर्जी को सौंपा गया। अब तक सबूत नष्ट करने के लिए राजीव कुमार के खिलाफ कोई एफआईआर नहीं की गई ।