बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। बिहार में जदयू-बीजेपी की सरकार ने विकास तो किया लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं का विकास अधूरा है। आए दिन तमाम नेता चुनावी रैलियों के ज़रिये झूठे वादों को जनता के बीच पेश करने की कोशिश करते हैं।
बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बिहार के 15000 से अधिक सरकारी अस्पतालों में मात्र 700 फार्मासिस्ट कार्यरत हैं। यानि बिहार के 90% अस्पतालों में दवा का रख-रखाव वितरण भंडारण ड्रग एवं कॉस्मेटिक एक्ट के अनुसार नहीं हो रहा है।
इसका मतलब है कि यहां खुलेआम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी दवाओं का वितरण एवं भंडारण कर रहे हैं, जबकि उन्हें दवाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस कारण राज्य सरकार की करोड़ों दवाईयां एक्सपायर हो जाती हैं और बाद में इन्हीं दवाईयों को मार्केट में री लेवलिंग कर खपा दिया जाता है।