दलित संगठनों ने पीड़ित परिवार के साथ पुलिस अधीक्षक से भेंट कर पीड़ितों को न्याय देने की मांग रखी।

गोगुन्दा पुलिस द्वारा दलित व महिलाओं के साथ मारपीट,दुर्व्यवहार,जातिगत अत्याचार,उत्पीड़न कर बिन्दौली रोके जाने का प्रकरण दर्ज नही करने पर पीड़ितों ने पुलिस अधीक्षक को परिवाद देकर अभियुक्तों के विरुद्ध कार्यवाही करने की मांग की।

उदयपुर 20 मई। जिले के गोगुन्दा तहसील के ओबरा खुर्द गांव में दलित महिलाओं के साथ मारपीट,दुर्व्यवहार,अभद्रता एवं जातिगत उत्पीड़न करते हुए दलित दूल्हे की बिन्दौली रोके जाने की घटना का गोगुन्दा पुलिस द्वारा प्रकरण दर्ज नहीं करने पर सोमवार को पीड़ित परिवारजन स्थानीय दलित संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ताओ को साथ लेकर पुलिस अधीक्षक कैलाश विश्नोई को परिवाद देकर नामजद अभियुक्तों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर कठोर कानूनी कार्यवाही करने की गुहार की।
राष्ट्रीय अत्याचार निवारण फोर्स के जिला अध्यक्ष एवं सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट पी.आर.सालवी ने परिवाद के अनुसार बताया कि गोगुन्दा पुलिस थाना अंतर्गत ओबरा खुर्द गाँव मे 16 मई 2019 को दलित मगन मेघवाल के पुत्र लक्ष्मण मेघवाल की बिन्दौली रात्रि करिब 8-9 बजे निकाली जा रहा थी तो गांव के कुछ सामन्तवादी लोगो द्वारा डीजे(साउण्ड) बन्द करवाकर पुरुषों व महिलाओं से अभद्रता करते हुए जातिगत दुर्व्यवहार करते हुए मारपीट व जातिगत गाली गलौज करते हुए बिन्दौली को रोक दी तथा जातिगत गालिया देते हुए जान से मारने एवं हाथ पांव काटने तक धमकी दी जिस पर परिजन बिन्दौली को घर पर ले आये फिर भी नामजद अभियुक्तों के साथ 50 से अधिक दबंग ग्रामवासियों ने फिर से महिलाओं एवं पुरुषों पर हमला कर दिया उक्त घटना की जानकारी अज्ञात व्यक्ति द्वारा गोगुन्दा पुलिस को दी तो सामन्तवादी दबंगो के दबाव में पुलिस मात्र खाना पूर्ति के लिए एक युवक को गिरफ्तार कर पूरे प्रकरण को शांति भंग का बनाकर मामले को रफा दफा कर दिया गया।
उक्त प्रकरण को लेकर पीड़ित परिवारजनो को लेकर
दलित समाज की पिडित महिलाएं बहुत डरी सहमी हुई है और अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है,पीड़ित महिलाओं ने बताया कि घटना के बाद वो रात को 2 बजे गोगुन्दा थाना पहुचकर मामला दर्ज करवाया लेकिन आज उदयपुर से प्रतिनिधिमंडल गोगुन्दा पुलिस थाना जाने पर पता चला कि वहाँ कोई मारपीट,महिला व दलित अत्याचार का मुकदमा दर्ज नही किया गया है केवल खानापूर्ति के लिये शांति भंग के आरोप में एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया है तथा एक फर्जी शांति भंग का प्रार्थना पत्र वहाँ लिखा गया था।
इस घटना का उदयपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओ को पता चलने पर घटना स्थल पर पहुंचे और पिडित परिवार की मदद के लिए पूरा समाज साथ मे आया लेकिन पिडित महिलाओं के साथ हुए अन्याय पर अभी तक पुलिस प्रशासन ने कोई सज्ञान नही लिया है । इस जघन्य महिला एवं दलित अत्याचार पर पुलिस द्वारा रिपोर्ट तक दर्ज नही करना क्षेत्र में सामन्तवाद का पता साफ दिखाई पड़ता हैं।
सोमवार को उदयपुर के दलित संगठनों ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की सुश्री रिंकू परिहार , राष्ट्रीय अत्याचार निवारण फोर्स(नेशनल एट्रोसिटीज प्रिवेंशन फोर्स) उदयपुर जिला प्रभारी बाबूलाल घावरी, जिला अध्यक्ष एडवोकेट पी.आर. सालवी,बामसेफ के प्रचारक प्रकाश चांवरिया,बंशीधर पहाड़िया,गिरीश सोनार्थी व बीटीपी के बी एल छाँनवाल व महेंद्र चौधरी सहित सामाजिक कार्यकर्ताओ का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों के साथ पुलिस अधीक्षक से मिलें व शीघ्र मुकदमा दर्ज कर अभियुक्तों को गिरफ्तार करने की मांग की ।
उल्लेखनीय हैं कि उक्त सामाजिक कार्यकर्ताओ का प्रतिनिधिमंडल ओबरा खुर्द गांव जाकर पूरे घटनाक्रम का जायजा लेकर गोगुन्दा पुलिस थाने पहुंचे तो पता चला कि बिन्दौली रोकने,महिलाओं के साथ अभद्रता,मारपीट,जातिगत उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज नही हुआ तो सोमवार को पुलिस अधीक्षक से मिलकर प्रकरण दर्ज कराने का फ़ैसला किया।
दलित संगठनों के प्रतिनिधियों ने जिले में दलित उत्पीड़न एवं महिला अत्याचारों से समन्धित प्रकरणों को शीघ्र ही दर्ज कर तुरन्त कार्यवाही करने की मांग पुलिस अधीक्षक के समक्ष रखी इस पर उन्होंने सकारात्मक आश्वासन दिया ।