गोगुन्दा सहित क्षेत्र में दलित व महिलाओं के साथ अत्याचार व उत्पीड़न की घटनाएं दिन व दिन बढ़ती जा रही है ।

उदयपुर 19 मई। जिले के गोगुन्दा तहसील के ओबरा खुर्द व तरपाल गांव में दलित महिलाओं के साथ हुई मारपीट व ज्यादती के प्रकरण का घटनाक्रम का जायजा लेने पहुचे ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच व उदयपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओ का प्रतिनिधमंडल ।


गोगुन्दा पुलिस थाना अंतर्गत ओबरा खुर्द गाँव मे दिनांक 17 मई 2019 को दलित समाज द्वारा रात्रि के समय निकाली जा रही बिन्दौली के दौरान डीजे(साउण्ड) बन्द करवाकर मारपीट व जातिगत गाली गलौच करने के प्रकरण मे पिडित परिवार से मिलकर घटना के बारे मे जानकारी हासिल कर पीड़ितों का हौंसला अफजाई की।

दलित समाज की पिडित महिलाएं बहुत डरी सहमी हुई है और अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही है,पीड़ित महिलाओं ने बताया कि घटना के बाद वो रात को 2 बजे गोगुन्दा थाना पहुचकर मामला दर्ज करवाया लेकिन आज प्रतिनिधिमंडल गोगुन्दा पुलिस थाना जाने पर पता चला कि वहाँ कोई मारपीट,महिला व दलित अत्याचार का मुकदमा दर्ज नही किया गया है केवल खानापूर्ति के लिये शांति भंग के आरोप में एक अपराधी को गिरफ्तार किया गया है तथा एक फर्जी शांति भंग का प्रार्थना पत्र वहाँ लिखा गया था।
इस घटना का उदयपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओ को पता चलने पर घटना स्थल पर पहुंचे और पिडित परिवार की मदद के लिए पूरा समाज साथ मे आया लेकिन पिडित महिलाओं के साथ हुए अन्याय पर अभी तक पुलिस प्रशासन ने कोई सज्ञान नही लिया है । इस जघन्य महिला एवं दलित अत्याचार पर पुलिस द्वारा रिपोर्ट तक दर्ज नही करना क्षेत्र में सामन्तवाद का पता साफ दिखाई पड़ता हैं।
सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ताओ के प्रतिनिधिमंडल के साथ पीड़ित महिलायें उदयपुर पुलिस अधीक्षक से मिलेंगी ।

इसी तरह की एक ओर दलित एवं महिला अत्याचार की घटना गोगुन्दा तहसील के सायरा पुलिस थाना क्षेत्र के तरपाल गांव में हुई । दलित समाज द्वारा आई माता जी की शोभायात्रा(वरघोड़ा) निकालने के दौरान राजपूतो द्वारा शोभायात्रा(वरघोड़ा-बिंदोली)को रोककर महिलाओं व लड़कियों के साथ मारपीट व जातिगत गालियां देकर सरेआम मुख्य मार्ग में अपमानित किया।
इस घटना का मुकदमा दर्ज होने के बाद दिनांक 19 मई 2019 तक दो आरोपियो को गिरफ्तार किया गया है लेकिन अभी भी 8 नामजद मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है,

इस प्रकरण मे मुकदमा दर्ज करवाने वाली विधवा महिला श्रीमती पुष्पा बाई मेघवाल ने बताया कि उसके द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने की वजह से उनकी जान को खतरा है क्योंकि उसका परिवार खेत में रहता है जो तरपाल गांव से 2 किलोमीटर दूर है रास्ते मे उनके व परिवार के साथ किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना घटित हो सकती है, पिडित महिलायों ने बताया कि आरोपियो के समर्थको द्वारा जातीय पंचायत की जा रही है जिसके माध्यम से पुलिस पर पूर्ण दबाव बनाने का प्रयास जारी है इनके जानमाल की सुरक्षा की जरूरत बताई।

पिडित परिवार को अजा/जजा अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मिलने वाली राहत राशि भी अब तक उपलब्ध नहीं करवायी गयी हैऔर न ही कोई प्रयास किया गया है।
तरपाल गाँव मे जातिवाद आज भी विधमान है और रोजमर्रा की जिंदगी में दलितो के साथ जातिगत भेदभाव एवं अत्याचार होते रहते है,

सामाजिक कार्यकर्ताओ के प्रतिनिधियों ने स्थानीय सायरा थाना अधिकारी से मिलकर इस प्रकरण मे सही धाराओ को जोड़कर कानूनी कार्रवाई करते हुए बाकी सभी आरोपियो को भी तुरंत प्रभाव से गिरफ़्तार करने, पिडित महिलाओं को तुरंत आर्थिक मुआवजा दिलवाने, मुकदमा दर्ज करवाने वाले प्रार्थी व पिडित महिलाओं की जानमाल की सुरक्षा करने व सामाजिक समरता के खिलाफ काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की गयी,

उक्त दोनों प्रकरणो की जाँच हेतु ऑल इंडिया दलित महिला अधिकार मंच की रिंकू परिहार व राष्ट्रीय अत्याचार निवारण फोर्स(नेशनल एट्रोसिटीज प्रिवेंशन फोर्स) उदयपुर जिला प्रभारी बाबूलाल घावरी, जिला अध्यक्ष एडवोकेट पी.आर. सालवी,बामसेफ के प्रचारक प्रकाश चांवरिया, सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश सोनार्थी व बी टी पी के बी एल छाँनवाल व महेंद्र चौधरी शामिल रहे।