सवर्णों के सामने कुर्सी पर बैठकर एक दलित ने खाना खाया तो ऊंची जात के लोगों ने उसकी जमकर पिटाई कर दी. गंभीर रूप से घायल होने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां 9 दिन बाद रविवार को उसकी मौत हो गई. समाज को हिला देने वाली ये मामला उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले का है.
मेरा देश बदल रहा है, हम बदल रहे हैं, हम सब एक हैं, लेकिन ये बात झूठी सी लगती है जब एक युवक को सिर्फ इस बात के चलते बेहरहमी से पीटा जाता है कि उसने सवर्णों के सामने कुर्सी पर बैठ कर खाना खाने की हिम्मत की. घटना 9 दिन पुरानी है जब जितेंद्र दास नामक एक व्यक्ति अपने ही समुदाय की एक शादी में खाना खा रहा था कि तभी वहां पर कुछ उच्च जाति के लोग आए . जब उन्होंने जितेंद को कुर्सी पर बैठ कर खाना खाते देखा तो गुस्से से उन्होंने पहले उसकी कुर्सी पर लात मारी और फिर उसके बाद उसकी पिटाई करनी शुरू कर दी. उनका कहना था कि हमारे सामने आखिर एक दलित की हिम्मत कैसे हुई कि वो कुर्सी पर बैठ कर खाना खा सके. जीतेंद्र की इतनी पिटाई की गई कि उसको देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां 9 दिन के इलाज के बाद उसकी मौत हो गई।
दास की मौत के तुरंत बाद उसे परिवार के लोग और गांववाले कोरोनेशन अस्पातल के बाहर धरने पर बैठ गए, इसी अस्पताल में मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मृतक जितेंद्र दास (23) के परिवार का कहना है कि 26 अप्रैल को नैनबाग तहसील में उस पर हमला किया गया क्योंकि उसने सवर्ण जाति के कुछ लोगों के सामने कुर्सी पर बैठकर खाना खाया था. दास को पहले एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया लेकिन बाद में तबीयत बिगड़ने पर उसे 28 अप्रैल को श्री महंत इंद्रेश अस्पताल ले जाया गया, जहां उसने दम तोड़ दिया।
मृतक की बहन पूजा ने बताया कि जिस शादी में यह घटना घटी, वह एक दलित शादी थी. पूजा ने बताया, ‘वह हमारे कजिन की शादी थी. मैंने भाई ने एक गलती कर दी उसने उस काउंटर से खाना लिया, जहां सवर्ण जाति के लोग खाना खा रहे थे और फिर वह उनके साथ ही कुर्सी पर बैठकर खाना खाने लगा.’
पूजा ने बताया, ‘इससे सवर्ण जाति के लोग गुस्से में आ गए. उन्होंने कहा कि यह नीच जाति का हमारे साथ खाना नहीं खा सकता. खाएगा तो मरेगा. मेरा भाई परिवार में अकेला कमाने वाला था. अब हम क्या करेंगे?
डीएसपी उत्तम सिंह जिमवाल ने कहा, ‘सवर्ण जाति के कुछ लोग अपने सामने एक दलित युवक को कुर्सी पर बैठकर खाना खाते देख गुस्से में आ गए और उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी.’
डीएसपी ने बताया कि जितेंद्र की बहन की शिकायत के आधार पर पुलिस ने सात लोगों गजेंद्र सिंह, सोबन सिंह, कुशाल सिंह, गब्बर सिंह, गंभीर सिंह, हरबीर सिंह और हुकूम सिंह के ख़िलाफ़ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
पुलिस प्रशासन पर ग्रामीण और परिजनों का आरोप है कि इस मामले पर संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई. जब एक बेक़सूर चला गया तब जाकर विभाग हरकत में आया है.
मामले पर एसडीएम की मानें तो तीन की गिरफ्तारी हो चुकी है और जो लोग शामिल हैं उन पर कार्रवाई की जा रही है.
अब यह सवाल लाजिमी है कि आखिर इस मामले पर नौ दिनों तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? क्या प्रशासन मौत के बाद ही जाग पाया?