बाल विवाह दे रहा है नाताप्रथा को बढ़ावा

-रिंकू परिहार

नाता प्रथा को बढ़ावा देने के पीछे कुछ समाजो की परम्परा ही नही बल्कि बाल विवाह भी काफी अधिक जिम्मेदार है

नाता प्रथा को बढ़ावा देने के  पीछे कुछ समाजो की परम्परा ही नही बल्कि बाल विवाह भी काफी अधिक जिम्मेदार है l बचपन में हुई शादियाँ जवानी में आते आते

टूट जाती है तो नाता प्रथा के जरिये जीवन साथी ढूँढना पड़ता है lबच्चो की बचपन में शादी होने के बाद कई बार दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर विवाद भी हो जाते है l वहीं लड़के–लड़की के युवावस्था में पहुँचने के बाद  भी हो जाते हैं। वहीं लड़के-लड़की के युवावस्था में पहुंचने के बाद एक-दूसरे को नापसंद करने पर भी बाल-विवाह टूट जाते हैं। ऐसे में वापस शादी होना संभव नहीं होता। इसके लिए ऐसे समाजों में नाता प्रथा ही विकल्प बचता है। इसके अलावा लड़के-लड़की में से किसी एक की असामयिक मृत्यु होने पर भी एक को नाता विवाह करना ही पड़ता है। नाता प्रथा में औपचारिक रीति-रिवाज नहीं

  जब महिला-पुरुष के बीच नाता विवाह होता है तो उसे शादी के रूप में मान्यता नहीं मिलती। इस कारण नाता विवाह में शादी-ब्याह में होने वाली बारात ले जाना, , बिंदोली जैसे रीति-रिवाज या ऐसी ही कोई अन्य औपचारिकताएं करना जरुरी नहीं होता। दोनों पक्षों के चंद लोगों की मौजूदगी में नाता विवाह हो जाता है। नाता प्रथा के चलन वाली जातियों के पुरुषों और महिलाओं को जाति पंचायत की मंजूरी के बाद कभी भी अपने साथी को बदलने की सहूलियत रहती है।

नाता प्रथा लड़की के आत्मसम्मान को ठेस पहुचाती है इसमें लडकी /महिला को दोय्मे दर्जे की समझने की मानसिकता भी झलकती है बार बार नाता जाने वाली महिला को हेय की द्रष्टि से देखा जाता है सबसे बड़ी बात यह है की समाज व अभिभावको के दबाब में बचपन में हुई शादी के बाद बाल विधवा होने बलि मासूम बालिकाओं का जीवन नरक बन जाता है और बच्चियां हिन् भावना की शिकार हो जाती है


तलाक के लिए कानूनी औपचारिकता से मुक्ति और हिंसा में बढोतरी 

नाता प्रथा की वजह से महिलाओं और पुरुषों को अलग होने के लिए बड़ी आसानी से संबंध विच्छेद का रास्ता मिल जाता है। सहमति के बाद जाति पंचायत की मौजूदगी में उनका नाता विवाह भी हो जाता है। नाता प्रथा को कानूनी मान्यता नहीं मिलने के कारण जोड़ों को तलाक के लिए होने वाली कानूनी औपचारिकताओं से मुक्ति मिल जाती है। और महिला हिंसा को बढावा मिलता है

नाता प्रथा के कुप्रभाव

  • घरेलू हिंसा और लिंग आधारित हिंसा का बढ़ाना l
  • पुरुषो के लिए बहुविवाह को बढ़ावा
  • महिलाओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • योंन संचारित रोगों का फेलना
  • जनसंख्या दर का बढ़ना
  • गरीबी

निरक्षरता और अज्ञानता जल्द /बाल विवाह और जबरन विवाह के लिए जिम्मेदार है l बाल विवाह के कारण कई बुराइयाँ पैदा होती है l बचपन में शादी के कारण कई लडकियाँ बाल विधवा हो जाती है जिससे नाता प्रथा को बढावा मिलता है l बाल विवाह और नाता प्रथा जेसी कुरीतियों को दूर करने के लिए समाज में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है नाता प्रथा के लिए भी कानून में संशोधन करने की जरूरत है